मेरी माँ
हर सुबह से सुन्दर
हर शाम से प्यारी
हर दिन की खुशियों मे
सबसे जो न्यारी
इतनी है प्यारी मेरी माँ ।

मेरे गम को हरने वाली
मुझे खुशियो से भरने वाली
दीपक की दमक से भी है जो न्यारी
इतनी है प्यारी मेरी माँ ।

मेरे दामन के काँटो को,
फुलों में बदले वाली
मेरे शाम के नीद की,
लोरियों की जैसे एक पेटारी
मुझे आँचल के मखमल पे,
अपने जो सुलाती
इतनी है प्यारी मेरी माँ ।

मेरे इक दर्द पे जिसकी,
जाँ निकल जाती
अपनी जाँ से अधिक,
मुझे जो मानती
छल,दम्भ,द्वेष,पाखण्ड,झुठ से
मुझे हर दम जो बचाती
इतनी है प्यार मेरी माँ ।