पंक्षी....
     


जानवरो की बस्ती में,
हैवानो की कस्ती पे
डुबते हुए किनारो में,
उतरती हुई कस्ती पे
जाने,अब पंक्षी ! तेरा क्या होगा

प्रमाणु बम के घेरो में
बारुद की ढेरो पे
सुलगते हुए आशियाँ की
जलती हुई चिंगारी पे
जाने,अब पंक्षी ! तेरा क्या होगा



सोने के पिंजड़ो में
चाँदी की थाली पे
बिन फुलो की सेज के
काँटो की डाली पे
जाने,अब पंक्षी ! तेरा क्या होगा


खिलवाड़ो के देश में
बदलते हुए परिवेश में
जिसने जो चाहा नहीं
उसी के वेश मे
जाने,अब पंक्षी ! तेरा क्या होगा