कुछ गाती , कुछ रह-रह जाती जीवन-ताल की कहानियाँ कुछ लहरों के संग मंडराती ये तालाब की मछलिया कुछ गाती,कुछ रह-…
Read moreकुछ गाती , कुछ रह-रह जाती जीवन-ताल की कहानियाँ कुछ लहरों के संग मंडराती ये तालाब की मछलिया कुछ गाती,कुछ रह-…
Read moreपाहून जलद हो , जलनिधि गढ़ के आना मेरे गाँव बनठन के , सँवर के । लिये नीर पावन जो दांडी से आवन इस भूमि की तो है मिट्टी सुहावन जो…
Read moreबदल रहा ये विश्व आज है बदल रहा ये सकल समाज । बदल रहा ये विश्व आज है बदल रहा ये सकल समाज बदल रही है सबकी काया बदल रही मानवता आज …
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