मेघ

पाहून जलद हो , जलनिधि गढ़ के आना मेरे गाँव बनठन के , सँवर के । लिये नीर पावन जो दांडी से आवन इस भूमि की तो है मिट्टी सुहावन जो…

Read more

बदलाव

बदल रहा ये विश्व आज है   बदल रहा ये सकल समाज । बदल रहा ये विश्व आज है बदल रहा ये सकल समाज बदल रही है सबकी काया बदल रही मानवता आज …

Read more